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Shayari

                                 Shayari   शायरी लिखना कोई खेल नहीं ग़ालिब ...  हजारों बातों का मलाल रहता है एक छोटे से दिल मे ...।।                       Sunny.                       June 13th, 2020                          रेख़्ता         ज़ुबाँ-ऐ-रेख़्ता लिखता ये क हाँ मेरे बस में था . . .         ज़ुबाँ-ऐ-रेख़्ता बोल लेता हूँ ग़ालिब को देख कर . . .                              Sunny.                             Jun 17th , 2020                              ...

कदम-दर-कदम ठोकर मारना , यू ठीक नही ग़ालिब … गौर कर रास्ते में मेरा दिल पड़ा होगा …!!

  कदम-दर-कदम ठोकर मारना , यू  ठीक नही ग़ालिब  … गौर कर रास्ते में मेरा दिल पड़ा होगा …!!                                       Sunny                               September 11th , 2020

विजय दिवस ( कारगिल युद्ध )

              विजय दिवस ( कारगिल युद्ध )                                         26/07/1999 जिन गद्दारों ने छुप-छुप कर ... भारत सेना पर वार किया...।। कर घुसपैठ मेरे भारत मे ... नियंत्रण-रेखा को पर किया ...।। सरकार तक जब बात ये पहुंची... हवाई हमले पर सोच-विचार किया...।। उड़ा हवा में मिग-27 को... दुश्मन पर अचूक वार किया...।। थल सेना भी हार ना मानी, चड़ गई कारगिल चोटी पर  दिल मांगे मोर बोल कर ...  दुश्मन का संहार किया...।। वायु सेना और थल सेना ने  दुश्मन का संहार किया...।।                                                 Sunny                July 21th , 2020                

एक नज़्म

                      एक नज़्म       कल वो मुझे कितना इंतज़ार करा रही थी . . .       और मेरे हाथ पर बंधी घड़ी की सुई डगमगा रही थी . . .       कभी इधर जा रही थी ,       कभी उधर जा रही थी . . .             गौर से देखा तो जाना ,       वो घड़ी ख़राब थी और ग़लत वक़्त बता रही थी . . .।।       शाम भी जब ढलती जा रही थी . . .       क्या वो मुझसे खफा थी ,       जो इस वक़्त बे-वक़्त आ रही थी . . . ।।                               Sunny                              May 06th , 2020        

Shayari

  कोई उम्मीद बर नहीं आती कोई सूरत नज़र नहीं आती (बर नहीं आती = पूरी नहीं होती), (सूरत = उपाय) मौत का एक दिन मु'अय्यन है नींद क्यों रात भर नहीं आती (मु'अय्यन = तय, निश्चित) आगे आती थी हाल-ए-दिल पे हँसी अब किसी बात पर नहीं आती है कुछ ऐसी ही बात जो चुप हूँ वर्ना क्या बात कर नहीं आती हम वहाँ हैं जहाँ से हम को भी कुछ हमारी ख़बर नहीं आती जीते हैं आरज़ू में मरने की मौत आती है पर नहीं आती काबा किस मुँह से जाओगे 'ग़ालिब' शर्म तुमको मगर नहीं आती -मिर्ज़ा ग़ालिब

पंछी

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                                    __ पंछी__ Part-1 आज शाख पर बैठा पंछी नजर नही आता । जिसे अक्सर हम अपनी बालकनी से देखा करते थे...।। जो हर रोज़ सुनाया करता था अपने लफ्सो की चहक, और हर रोज़ हम भी सुना करते थे। उड़े होश तब मेरे जब पड़ोस मे उसका हाल जाना - जिस शाख पे बैठ करता था... जिस शाख पे गाया करता था... अपनों ने उसको यू मरा, वो जब भी गया करता था... बस तुझे बुलाया करता था... एक गीत वो गया करता था...  बस तुझे बुलाया करता था...।। Part-2 एक दिन पंछी के दोस्त ने पंछी से पूछ ही लिया… तू किसे बुलाया करता है…? और क्यों तू गाया करता है…? मैं उसे बुलाया करता हूं… जो यही पास मे रहती है… जो कभी-कभी ये कहती है… तुम दिल के कितने सच्चे हो…! तुम कितने अच्छे लगते हो…! [पंछी के दोस्त ने ये बात लड़की के घर पर बता दी-] अगले दिन जब वो आए… पंछी को फिर खूब समझाया… पागल पंछी समझ ना पाया… पंछी के सीने पर जब लगी गोली… खिल गई फिर खून की होली… क्या ख़त्म हुई ये प्रेम कहन...

तुझे ढूंढ़ता हूं...(माँ)

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                              __तुझे ढूंढता हू‌ं__ तू इस दुनिया में नही अब, इसलिए तेरे निशा ढूंढता हूं! अब कहां मिलेगी तू मुझे, इसलिए तो तुझसे मिलाने वाली वो दिशा ढूंढता हूं...!!   वैसे तो समुंदर की लहरें किनारे ढूंढता हूं!                                              और मैं उस किनारे पर खड़ा तुझे ढूंढता हूं!! ज़रूर की होगी कोई गलती मैंने, जो तू दूर हुई मुझसे…! इसलिए तो दूर होने की वजह ढूंढता हूं !! इस दुनिया मे लोग हमसफ़र ढूंढते है! और मैं हमसफ़र की भीड़ में खड़ा तुझे ढूंढता हूं!! इस दुनिया के लोग भी अजीब है ज़र्रे ज़र्रे मे ख़ुदा ढूंढते हैं ...! और मे ख़ुदा मे तुझे ढूंढता हूं...!! माँ मैं तुझे ढूंढता हूं…!!               __sunny.                       July 24th, 2018   ...