Shayari



 

कोई उम्मीद बर नहीं आती
कोई सूरत नज़र नहीं आती

(बर नहीं आती = पूरी नहीं होती), (सूरत = उपाय)

मौत का एक दिन मु'अय्यन है
नींद क्यों रात भर नहीं आती

(मु'अय्यन = तय, निश्चित)

आगे आती थी हाल-ए-दिल पे हँसी
अब किसी बात पर नहीं आती

है कुछ ऐसी ही बात जो चुप हूँ
वर्ना क्या बात कर नहीं आती

हम वहाँ हैं जहाँ से हम को भी
कुछ हमारी ख़बर नहीं आती

जीते हैं आरज़ू में मरने की
मौत आती है पर नहीं आती

काबा किस मुँह से जाओगे 'ग़ालिब'
शर्म तुमको मगर नहीं आती

-मिर्ज़ा ग़ालिब

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