माँ की याद आती है। एक कविता

                माँ की याद आती है


ये दुनिया जब भी अपनी माँ के 
किस्से सुनाती है...! 
तो मुझको अपनी माँ की याद आती है...!!

 मुश्किलों मे माँ जब भी होती थी।
मुझे हसाकर, खुद कोने मे रोती थी...!
वो माँ ही होती थी जो कोने मे रोती थी ...!!

बारिश के मौसम मे, जब बारिश सी होती थी...!
मुझे सुखे मे सुलाकर माँ, खुद गीले मे सोती थी...!!
वो माँ ही होती थी जो गीले मे सोती थी...!

घर मे रोटी हमारे जब कम सी होती थी...! 
मुझे रोटी खिलाकर, माँ खुद भूखी सोती थी...!!
वो माँ ही होती थी जो भूखी सोती थी...!!

ये दुनिया जब भी अपनी माँ के किस्से सुनाती है! 
तो मुझको अपनी माँ की याद आती है...!!

                                     - Sunny.

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